- प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय।
- जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
- जिन ढूँढा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ।
- बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
- साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
- बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि।
- अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
- काल्ह करै सो आज कर, आज करै सो अब्ब।
- निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।
- दोस पराए देखि करि, चला हसंत हसंत।
- जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ग्यान।
- सोना, सज्जन, साधुजन, टूटि जुरै सौ बार।
- पाहन पुजे तो हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहाड़।
ताते या चाकी भली, पीस खाए संसार।।
- काँकर पाथर जोरि कै, मस्जिद लई बनाय।
- संत कबीर
(दोहा)
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